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तुम महसूस तो करो / कुमारेन्द्र सिंह सेंगर
Kavita Kosh से
सोचो न कभी खुद को तन्हा यहाँ
हम सब हैं साथ तुम्हारे सदा,
तुम्हारे साये की तरह,
तुम महसूस तो करो।
महसूस करो हमारा होना तुम,
अपने खून की रवानी में,
दिल की धड़कन में,
अपनी हर साँस में।
हर धड़कन में है संदेश
हमारे प्यार का।
हर साँस में है महक
स्नेह, दुलार की,
हम सभी के विश्वास की,
तुम महसूस तो करो।
गुजारे जो दोस्त, यारों के संग,
बचपन के वो सुहाने दिन,
गुजर गये वो
हवा के झोंकों की तरह।
लड़खड़ा कर गिरना,
सँभलना फिर
वो माता-पिता की बाँहों में।
वो अपनों से झगड़ने का
मीठा एहसास,
अब भी है
दिल के किसी कोने में,
बन करके याद तुम्हारे आसपास,
तुम महसूस तो करो।