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तुम मारे जाओगे / कुँअर रवीन्द्र

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कवि!
 
तुम मारे जाओगे
हत्यारे रोबोट ताक में हैं
वे कविता की तपिश से परेशान हैं
कविता का सच
उनकी फ्रीक़ोइन्सी को गड़बड़ा रहे हैं
 
वे सच नहीं जानना चाहते
वे सिर्फ़ झूठ के बल पर
तकत्य भाषा के शब्दों से
अभिमंत्रित कर
तुम्हे अपना गुलाम बनाना चाहते हैं
 
कवि यदि तुम सच लिखोगे
कविता लिखोगे
तो निःसंदेह तुम
मारे जाओगे
 
मगर हाँ
मरने से पहले
लिख देना एक ऐसी कविता
कि इन रोबोटों से डरे हुए लोग
अपनी ताकत को समझ सकें