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तुम मुझे वहाँ ढूँढ़ना / रश्मि भारद्वाज
Kavita Kosh से
हर उम्मीद के टूटने के बाद भी जहाँ सपने देखे जाते हैं,
शब्दों के शोर में भी जहाँ मौन ही सबसे ज़्यादा सुनाई देता है,
अक्षरों के बीच के अदृश्य अन्तराल में,
नीन्द और जाग के बीच कहीं,
प्रेम और अप्रेम के मध्य,
भीड़ में जहाँ कहीं कुछ अकेला बचा है
और बहुत कुछ चले जाने के बाद भी बचा हुआ हो जहाँ सब कुछ
और उन तमाम जगहों में जो होती हैं लेकिन नहीं होती,
और वे तमाम रिश्ते जो हैं या नहीं है
तुम मुझे वहाँ ढूँढ़ना।