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तुम मेरे जीवन में आये / कमलेश द्विवेदी

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तुम मेरे जीवन में आये लगा कि कोई अपना आया।
मगर छोड़कर चले गये जब लगा कि सपने ने भरमाया।

अपने से सपने की दूरी
तुमने पल में तय कर डाली।
मैं हूँ उसी राह पर अब भी
तुमने हटकर राह बना ली।
मंज़िल तक का वादा करके तुमने कितना साथ निभाया।
तुम मेरे जीवन में आये लगा कि कोई अपना आया।

सीख गये जब पर फैलाना
तुम भी भरने लगे उड़ानें।
उड़ते-उड़ते एक ठिकाने
से जा पहुँचे कई ठिकाने।
मगर कभी क्या सोचा तुमने-किसने उड़ना तुम्हें सिखाया।
तुम मेरे जीवन में आये लगा कि कोई अपना आया।

आँखों जैसे रिश्ते हों तो
रिश्ते लगते कितने प्यारे।
एक आँख जिस ओर निहारे
दूजी भी उस ओर निहारे।
मैंने क्या-क्या तुम्हें दिखाया तुमने क्या-क्या मुझे दिखाया।
तुम मेरे जीवन में आये लगा कि कोई अपना आया।

करो किसी की ख़ातिर कुछ भी
पर कोई उम्मीद न पालो।
कभी सुना या कहीं पढ़ा था-
नेकी कर दरिया में डालो।
लेकिन इसका अर्थ तुम्हीं ने पूरी तरह मुझे समझाया।
तुम मेरे जीवन में आये लगा कि कोई अपना आया।