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तुम लिखोगे क्या / विनोद श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
तुम लिखोगे क्या
हमें मालूम है
तुम दिखोगे क्या
हमें मालूम है
शान पर
चढ़ती हुई तनहाइयाँ
आँख में
धंसती हुई परछाइयाँ
तुम सहोगे क्या
हमें मालूम है
टूटकर
गिरती हुई दीवार-सा
आदमी हर आदमी
बीमार-सा
तुम कहोगे क्या
हमें मालूम है
धूप की मानिंद
कुछ लिख दीजिए
आप तो दिनमान हैं
कुछ कीजिए
तुम रचोगे क्या
हमें मालूम है