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तुम हकीकत नहीं हो हसरत हो / जॉन एलिया
Kavita Kosh से
तुम हक़ीक़त नहीं हो हसरत हो
जो मिले ख़्वाब में वो दौलत हो
तुम हो ख़ुशबू के ख़्वाब की ख़ुशबू
और इतने ही बेमुरव्वत हो
तुम हो पहलू में पर क़रार नहीं
यानी ऐसा है जैसे फुरक़त हो
है मेरी आरज़ू के मेरे सिवा
तुम्हें सब शायरों से वहशत हो
किस तरह छोड़ दूँ तुम्हें जानाँ
तुम मेरी ज़िन्दगी की आदत हो
किसलिए देखते हो आईना
तुम तो ख़ुद से भी ख़ूबसूरत हो
दास्ताँ ख़त्म होने वाली है
तुम मेरी आख़िरी मुहब्बत हो