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तुम हो गए उदास / हरप्रीत कौर
Kavita Kosh से
दुःख को समेटकर
मैंने जिन्दगी को
एस.एम.एस. किया
सब ठीक है
खिड़की की चिटखनियों को खोलकर
कहा हवा से
‘ठीक है सब’
चिड़िया से कहा
कमरे में बनाने को घोंसला
देने को अण्डे
प्रेम से कहा डालने को लंगर
किताबों को कुतर रहे चूहों से कहा
कुतरने में लाने को रिद्म
खुद से कहा
टूटकर करने को प्रेम
इतना सा कहा तुमसे
‘लौट जाओ’
और तुम हो गए उदास!