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तुम हो बहुत महान् ( प्रार्थना / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

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हे प्रभु तुम हो बहुत महान् ।
सबको दो विद्या का दान ॥
तुम रहते हो सबके मन में
गाँव-नगर में, घर में, वन में।
नदियाँ गाती तेरा गान ॥

तुम पर्वत पर , तुम सागर में
तुम धरती पर तुम अम्बर में।
तुम कोयल की मीठी तान । ।

फसलों की हर क्यारी में तुम
फूलों की फुलवारी में तुम ।
कलियों में तेरी मुस्कान ।

हमको अपने गले लगाओ
हमें प्रेम की राह दिखाओ ।
सुख-दु:ख समझें एक समान ॥