तुम
सुकून भरी अलमस्त नींद
मुर्गे की बांग
कलेवा का भोज
शाम की चाय
और
रात की लोरियों की तरह हो
क्या तुम्हें पता है ?

तुम चिड़ियों की तरह हो
क्या तुम्हें पता है?
तुम चिड़ियों का कलरव
जीवंत संगीत
बच्चों की किलकारी
चिर प्रतीक्षित मेहमान
कौवे की टेर
और
रात में छत पर पसरी
चान्दनी की तरह हो

तुम मिलने से पहले
बिछुड़ने की बेचैनी
बरसों के अन्तराल का टूटता नेहबन्ध
आगोश में लेने को
आतुर दशम की दह-दह
करती गूँज
साल वनों से आती
चिन्ही-अनचिन्ही पुकार की तरह हो
जानते हो तुम ?

शाम को गोधूलि बेला में
लौटते बैलों की
ठरकी और घण्टी की
मिश्रित आवाज़ हो
धूल हो
हाँ, तुम मुझमें ऊर्जा भरने वाले
ऊर्जा के स्रोत हो ।

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