हर साल तुलसी-जयन्ती आवै छै
इस्कूलोॅ में, काॅलेजोॅ में
साहित्यिक के बीचोॅ में
बड़ी धूमधामोॅ सें
हर्ष आरो उल्लासोॅ सें
तुलसी-जयन्ती मनावै छै ।
छोटोॅ अतिथि, बड़ोॅ अतिथि
आरू मुख्य अतिथि आवी केॅ
तुलसी पर कम
मतरकि वोकरोॅ ‘मानस’ पर
घंटौ भाषण दै छै ।
इस्कूली में छोटका विद्यार्थी
तुलसी के सम्बन्ध में
गीत आरू लोकगीत गावै छै
काॅलेज के लड़का आरू लड़की सिनी
लघुनाटक आरो प्रहसन दिखावै छै ।
दर्शक सिनी देखी-देखी
हर्षित होय-होय
गाँव-घरोॅ में जाय केॅ
‘कैरीकेचर’ करि-करि केॅ
लोगोॅ केॅ रिझावै छै ।
तुलसी केरोॅ नीकोॅ विचार
सद्भाव, ज्ञान-ध्यान
भक्ति आरो आत्मज्ञान
गुरू-आदेश मानै लेॅ
कोय-कोय बतलावै छै ।
बड़ोॅ कवि, बड़ोॅ सन्त
समाज सुधारक भी
उपदेशक भी कम नै
निर्भीकता के जोड़ नै
समन्वय के सम्राट कहावै छै ।