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तूँ हउअ हमार आपन / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’

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तूं हउअ हमार आपन,
तूं हउअ हमार नजदकी,
ई बात हमरा के कहे द हो, कहे द।
ई बात हमरा के कहे द।
तहरे में बाटे
आनंद हमरा जीवन के
ई बात हमरा के कहे द हो कहे द
ई बात हमरा के कहे द।
हमरा के तूं अमृत भरल स्वर द
हमरा बानीं के तूं सुमधुर बना द
तूं ही हउअ हमार प्रियतम
ई बात हमरा के कहे द हो कहे द
ई बात हमरा के कहे द
अखिल आकाश आ सउँसे धरती
तहरे से भरल बा, तहरे से व्याप्त बा
हमरा के ई बात कहे द हो कहे द
हृदय से कहे द, भीतर से कहे द।
दुखिया जान के लगे आवेलऽ
छोट जान के प्रेम करेलऽ
हमरा के ई बात कहे द हो कहे द
छोटे मुँहें कहे द, हमरा के कहे द।