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तूंतड़ा ही बा!/ कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
दाणां नही तो
तूंतड़ा ही बा
उगो‘र मत उगो
भौम तो दबा,
नही सरी कळा
गुळेच्याईं खा
पांचवै सवारां री
गिणती में तो आ !