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तूं कीं तो बोल / प्रमोद कुमार शर्मा

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तूं कीं तो बोल ....
पानका होंठा रा खोल
डोल मति गळी-गळी
पसांरी बैठ्या है जिग्यां-जिग्यां
अर तूं गुड़ री डळी !

के ठा .....
कुण थानै परचा‘र भर लेवै गोझयां
पछै नीं लाधै खोज म्हानै सोध्यां
इण सारू
तूं कीं तो बोल !
मायड़ है तूं
प्रळय सूं पैलां लय रो भेद खोल !
तूं कीं तो बोल ....