भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तूतनख़ामेन के लिए-14 / सुधीर सक्सेना

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मौत ने नहीं

विचार ने मारा

ख़ूबसूरत और युवा

तूतनखामेन को ।


तूतन ने गुना कम

सुना ज़्यादा ।


एक दिन

यक-ब-यक

राजसिंहासन से उतर

समेट कर अपने और औरों के

हिस्से का सोना

सीधे चला गया

जीवितों के लोक से

मक़बरे के अंधेरे में

जीते जी पुरोहितों की वाणी का मारा

बेचारा तूतनखामेन ।