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तूतनख़ामेन के लिए-19 / सुधीर सक्सेना
Kavita Kosh से
शुक्रिया अदा करो
तूतन
अगर वक़्त हँसा
एक भी बार
तुम्हारे होंठों से
शुक्रिया अदा करो
कि सुरमई नींद ने
पंख खोले
तुम्हारी पलकों में
शुक्रिया अदा करो
कि सपनों के मृगछौनों ने
कुलाँचे भरी
तुम्हारे निद्रा लोक में
शुक्रिया अदा करो
अगर एक बार भी
एकान्त में सही
एक क़तरा टपका
तुम्हारी आँखों से
शुक्रिया अदा करो
बार-बार
कि ये नेमतें तुम्हें मिलीं
वक़्त इन्हीं नेमतों से भरता है
ख़ुशनसीबों का दामन ।