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तूतनख़ामेन के लिए-2 / सुधीर सक्सेना
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जीते जी सपना देखा
तूतनखामेन ने
सुनहरे जीवन का
मरने के बाद चला गया
मक़बरे में
अपने समस्त वैभव के साथ
राजमुद्रांकित द्वारों के
गोपन-कक्ष में
सोता रहा
सोता रहा
तूतनखामेन
शताब्दियों तक
ज़िन्दगी के इन्तज़ार में
और मौत सिरहाने खड़ी
थपकियाँ देती रही
तूतनखामेन के ललाट पर ।