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तूतनख़ामेन के लिए-7 / सुधीर सक्सेना
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काल ने नहीं,
प्रजा ने नहीं,
न बंधु-बांधवों ने
पुरोहितों ने तुम्हें छला
तुम्हें
तूतनखामेन
सबक किसी ने नहीं लिया
न तुमने
न तुम्हारे पुरखों ने
इतिहास पढ़कर भी नहीं सीखा
इतिहास का सबक
सब मक़बरे चिनाते रहे
खाली करते रहे टकसाल
और खजाने
तुम सो गए
सदियों के लिए नहीं,
सदैव के लिए
न जागने को अभिशप्त
तूतनखामेन
तुम कुछ भी नहीं हो फिलवक़्त
फ़कत धरोहर हो इतिहास की
जैसे मृदभाण्ड,
पुराने ठीकरे,
पुरातन पाण्डुलिपियाँ,
भग्नावशेष अथवा जीवाश्म ।