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तूतनख़ामेन के लिए-8 / सुधीर सक्सेना

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जितना जीना हो

जी लो

तूतनखामेन


होठों से लगा

खाली कर दो चषक


रमण कर लो

जी भर सुन्दरियों से


निहार लो

आँख-भर वैभव सॄष्टि का


दौड़ा लो रथ

दिग-दिगन्त में


कर लो आखेट

काल के आखेट से पहले

तूतनखामेन !


मौत आएगी तो

पलक झपकाने को तरस जाओगे


तुम हमेशा-हमेशा के लिए

सो जाओगे गाढ़ी नींद

देख नहीं सकोगे

किसी दिशा में

मगर तुम्हें निस्सहाय, निश्चल, निर्वाक

देखेंगी दसों दिशाएँ ।