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तूफ़ानों ने घेरा है / पुरुषोत्तम प्रतीक

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तूफ़ानों ने घेरा है
यूँ भी घोर अधेरा है

रोशनदानों से पूछो
कितनी दूर सवेरा है

जिसको दिल कहते हो तुम
दुख-दर्दों का डेरा है

रिश्तों के भीतर देखा
मछली और मछेरा है

बादल का बादल में क्या
जो है तेरा-मेरा है