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तूफानी दिन / सेरजिओ बदिल्ला / रति सक्सेना
Kavita Kosh से
वांग वी संदेह में है
कौन सी परेशानी उसे लीयान के बारे में सोचने को मजबूर कर रही है
क्या तूफान तांग डाइनेस्टी पर पीछे से चूहे सा गुर्रायेगा?
पाले के नीचे दबे रुपहले गुच्छे सा
बकल की कील नहीं लगती
जब छांगि अनायास विपदा में गायब हो गई
कोई बहाना नहीं बनाया जा सकता
इसलिये वह ऐसे उदास है जैसे कि इमली के पत्ते ऐसे झड़ रहे हैं
जैसे की राजसिंहासन डोल रहा हो
और फिर भी वांग वी जिंदा है
उसका दीमग अटकलों से भन्ना रहा
इन सारे तूफानी दिनों में