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तू इन बूढ़े दरख्तों की हवाएँ साथ रख लेना / उर्मिलेश

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तू इन बूढ़े दरख्तों की हवाएँ साथ रख लेना
सफ़र में काम आयेंगी दुआएँ साथ रख लेना

हँसी बच्चो की, माँ का प्यार और मुस्कान बीबी की
तू घर से जब चले तो ये दवाएँ साथ रख लेना

सफ़र कितना भी मुश्किल हो वो फिर मुश्किल नहीं होगा
तू थोड़े हौसले बस दायें-बायें साथ रख लेना

बिछुड़ता देखकर तुझको जो घिरकर भी नहीं बरसीं
तू उन कजरारी आँखों की घटाएँ साथ रख लेना

कहीं भी तू रहे तेरे हमेशा काम आयेंगी
तू थोड़ी नेकियाँ, थोड़ी वफ़ाएँ साथ रख लेना

खताएँ दूसरों की जब कभी तू ढूढ़ने निकले
तू सबसे पेशकर अपनी खताएँ साथ रख लेना

मैं जब घर से चला, काँटो घिरो कुछ फूल यों बोले
ग़मों में मुस्कराने की अदाएँ साथ रख लेना