तू तो एक बहाना था
हमको धोखा खाना था
मौसम रोज सुहाना था
उनका आना-जाना था
आईना दिखलाना था
उसको यूँ समझाना था
आज जमाना क्या जाने
हमसे एक जमाना था
कबिरा वाली चादर का
मैं ही ताना बाना था
तू तो एक बहाना था
हमको धोखा खाना था
मौसम रोज सुहाना था
उनका आना-जाना था
आईना दिखलाना था
उसको यूँ समझाना था
आज जमाना क्या जाने
हमसे एक जमाना था
कबिरा वाली चादर का
मैं ही ताना बाना था