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तू ने कुछ भी न कहा हो जैसे / सूफ़ी तबस्सुम
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तू ने कुछ भी न कहा हो जैसे
मेरे ही दिल की सदा हो जैसे
यूँ तिरी याद से जी घबराया
तू मुझे भूल गया हो जैसे
इस तरह तुझ से किए हैं शिकवे
मुझ को अपने से गिला हो जैसे
यूँ हर इक नक़्श पे झुकती है जबीं
तेरा नक़्श-ए-कफ़-ए-पा हो जैसे
तेरे होंटों की ख़फ़ी सी लर्ज़िश
इक हसीं शेर हुआ हो जैसे