भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तू ने क्या क़िंदील जला दी शहज़ादी / तहज़ीब हाफ़ी
Kavita Kosh से
तू ने क्या क़िंदील जला दी शहज़ादी
सुर्ख़ हुई जाती है वादी शहज़ादी
शीश-महल को साफ़ किया तिरे कहने पर
आइनों से गर्द हटा दी शहज़ादी
अब तो ख़्वाब-कदे से बाहर पाँव रख
लौट गए है सब फ़रियादी शहज़ादी
तेरे ही कहने पर एक सिपाही ने
अपने घर को आग लगा दी शहज़ादी
मैं तेरे दुश्मन लश्कर का शहज़ादा
कैसे मुमकिन है ये शादी शहज़ादी