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तू न ग़र साथ रहेगा तो किधर जाऊँगा / रंजना वर्मा
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तू न ग़र साथ रहेगा तो किधर जाऊँगी।
छोड़ अब राह बुराई की सुधर जाऊँगी॥
साथ देने का जो वादा कोई कर ले दिल से
है वह हिम्मत कि मैं तूफ़ां से गुज़र जाऊँगी॥
तू जो बन जाये मेरा आइना ऐ जाने जहाँ
देख कर तेरी निगाहों में निखर जाऊँगी॥
मुश्किलें लाख सही रोकना आसान नहीं
पर न राहों की मुसीबत से मैं डर जाऊँगी॥
सोच उनकी हो पता है न जिन्हें मंजिल का
मैं तो दरिया हूँ समन्दर में उतर जाऊँगी॥