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तू प्यार का सागर है / शैलेन्द्र
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तू प्यार का सागर है, तेरी इक बून्द के प्यासे हम
लौटा जो दिया तुमने, चले जाएँगे जहाँ से हम
तू प्यार का सागर है ...
घायल मन का, पागल पँछी उड़ने को बेक़रार
पँख हैं कोमल, आँख है धुँधली, जाना है सागर पार
जाना है सागर पार
अब तू ही इसे समझा, राह भूले थे कहाँ से हम
तू प्यार का सागर है
इधर झूमती गाए ज़िन्दगी, उधर है मौत खड़ी
कोई क्या जाने कहाँ है सीमा, उलझन आन पड़ी
उलझन आन पड़ी
कानों में ज़रा कह दे, कि आएँ कौन दिशा से हम
तू प्यार का सागर है