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तू भी मेरी तरह दुखी है क्या? / सूरज राय 'सूरज'

तू भी मेरी तरह दुखी है क्या?
बोल तू कौन है, ख़ुशी है क्या?

सच नहीं बोलती कभी दुनिया
माँ कभी झूठ बोलती है क्या?

बात करने की भी नहीं फ़ुर्सत
ज़िंदगी! तू बहुत बिज़ी है क्या?

सांप गिरते हैं जब झटकते हो
आपकी बाँह संदली है क्या?
 
दुश्मनी पाल ली ज़माने से
आपकी ख़ुद से दोस्ती है क्या?

ऐ ख़ुदा पास दूसरी तेरे
वक़्त जैसी कोई छड़ी है क्या?

जल रही है चिता मुहब्बत की
आओ कश मार लें, बिड़ी है क्या?

रोज़ बस माँ बहू से ये पूछे
गर्म रोटी कोई बनी है क्या॥

वक़्त हर वक़्त-वक़्त पर आए
पास उसके कोई घड़ी है क्या॥

झोपड़ी पूछती है "सूरज" से
तू भी फ़ि तरत से आदमी है क्या॥