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तू भी सो जा मेरी बिटिया / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
Kavita Kosh से
रात हुई सब पेड़ सो गये
चिड़ियाँ पंख समेटे सोई
तू भी सो जा मेरी बिटिया
तेरी दीदी भी अब सोई
आसमान में चंदा निकला
रजत चाँदनी भू पर छाई।
चूम रही है फूल-फूल को
रजनीगंधा भी मुस्काई।
सोने के पलने में सजकर
मंदिर में ठाकुर जी सोये
कल जागेंगे बड़े सबेरे
इसीलिए ये जल्दी सोये
दादी सोई दादा सोये
तू क्यों अब भी जाग रही
सोओ जल्दी जागो जल्दी
यही बड़ों ने बात कही
अब तो सो जा प्यारी बिटिया
बड़े सबेरे उठाना है
आज पाठ जो रहा अधूरा
कल वह पूरा करना है