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तू मुझसे आशना है तो कुछ आशकार कर / बलजीत सिंह मुन्तज़िर

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तू मुझसे आशना<ref>सम्बद्ध, जुड़ा हुआ</ref> है तो कुछ आशकार<ref>प्रकट करना, जतलाना</ref> कर ।
मेरा न हो सके तो ख़ुद से ही प्यार कर ।

ये ज़िन्दगी नहीं फिर दो बार मिल सकेगी,
जो दिल में ख़्वाहिशें हैं सब पर निसार<ref>न्योछावर</ref> कर ।

तुझको किया ख़ुदा ने तामीर<ref>fनfर्मत</ref> इस तरह,
कलियों में जिस्म ढाला मोती निखार कर ।

ग़ुरबत<ref>ग़रीबी</ref> की घाटियाँ तो मुझको उलाँघनी हैं,
तू भी तो ज़र-ओ-सीम<ref>सोना, दौलत</ref> के इस पुल को पार कर ।

मेरी उदासियाँ तो कुछ बे-सबब नहीं,
मुझमें तू जी रहा है बस एतबार<ref>भरोसा</ref> कर ।

बहने न पाएँ यक-ब-यक<ref>अकस्मात</ref> बेवक़्त आँख से,
तू अपने आँसुओं को कुछ होfशयार कर ।

तेरी रूहानी महक से पहचान जाऊँगा,
मुझसे किसी तो रोज़ मिल चेहरा उतारकर ।

बे-रहम तू नहीं है मेरा ही वक़्त बद है,
सैयाद<ref>बहेfलया</ref> बे-धड़क तू मेरा शिकार कर ।

दरिया की तरहा बहके सागर में जज़्ब<ref>समाया हुआ</ref> हो जा,
क़तरे<ref>बून्द</ref>-सी ज़िन्दगी को मत आबशार<ref>झरना</ref> कर ।

बिगड़े हुए थे सारे लम्हात-ए-ज़िन्दगी,
वो चल दिया हमारे कुछ पल सँवार कर ।

शब्दार्थ
<references/>