भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तू रस्ता हमवार करेगा चल झूठे / चाँद शुक्ला हादियाबादी
Kavita Kosh से
तू रस्ता हमवार करेगा चल झूठे
किया धरा बेकार करेगा चल झूठे
तेरी करनी और कथनी में फर्क बड़ा
सच का तू इज़हार करेगा चल झूठे
जीने मरने की कसमें न खाया कर
तू क्या किसी से प्यार करेगा चल झूठे
तुझसे मिलने- जुलने से अब क्या हासिल
बेवजह तकरार करेगा चल झूठे
जब भी तेरा एतबार किया बेकार गया
अब क्या तू इकरार करेगा चल झूठे
तेरी अपनी कश्ती बीच भँवर में है
तू मुझको क्या पार करेगा चल झूठे
चाँद चिनारों और केसर में आग लगा
अम्न का कारोबार करेगा चल झूठे