Last modified on 2 जुलाई 2013, at 07:18

तू हम से जो हम-शराब होगा / मीर 'सोज़'

तू हम से जो हम-शराब होगा
बहुतों का जिगर कबाब होगा

ढूँढेगा सहाब छुपने को मेहर
जिस रोज़ वो बेनक़ाब होगा

ख़ूबाँ से न कर मोहब्बत ऐ दिल
आमान कहाँ ख़राब होगा

ऐ मर्ग़-ए-शिताब कह तू मुझ से
उस ज़ीस्त को कब जवाब होगा

बोसा दे ‘सोज’ को मेरी जान
मतलब मेरा शिताब होगा