भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तू ही ख्व़ाब तू ही ख़याल है / सिया सचदेव
Kavita Kosh से
तू ही ख्व़ाब तू ही ख़याल है
तू जवाब तू ही सवाल है
तेरा साथ कैसे मैं छोड़ दूं
मेरी बन्दगी का का सवाल है
तू जो दूर हो तो मैं क्या करूं
मुझे सांस लेना मुहाल है
तेरा रूप जैसे के चाँद हो
के तू चांदनी की मिसाल है
न किसी का ऐसा हसीन रुख
न किसी का ऐसा जमाल है
कभी आ के इतना तो देख ले
तेरे बिन "सिया" का जो हाल है