भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तृष्णा / नवनीत पाण्डे

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सबको हासिल है
अपने हिस्से की धरती
अपने हिस्से का आकाश
अपने हिस्से का पानी
अपने हिस्से की सांस
अपने हिस्से की आग
फ़िर भी चाहिए
और धरती
और आकाश
और पानी
और सांस
और आग
इस महाशून्य में