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तेज कदम राहें / हेमा पाण्डेय
Kavita Kosh से
अपनी ख्वाहिशों की लगाम
अपने हाथ में लेकर
अपने मर्जी का मालिक बनकर
अनजानी पगडंडियों पर
चलने का जोखिम,
आनन्द जोखिम लेने में
अपना सूरज खुद बनाने में
अपनी राहे खुद चुनने में
मर्जी का मालिक बनने में
सफर कठिन हो सकताहै
लेकिन होगा मुकम्मल
एक सफर है
जो न जाने कब शुरू हुआ
कब खत्म होगाएक
औरत का सफर
इस सफर में कुछ
और दिल मिले
एक जैसी उम्मीदों
संकोचों हौसलों
लगातार ताजी हवा की
खिड़कियों के साथ
इस सफर के कई किससे
सच्चे, असल नाम के
ये सफर किसी के नाम
उसके काम, सफलताओं का नही
सफर है खुद को ज़िंदा रखते हुए
नाम है आगे बढ़ने का
एयर होस्टेस की अच्छी बात
सबसे पहले करे सुरझा खुद की
कितनी सच्ची, कितनी अच्छी