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तेरह भजन (चौथा भजन) / बैर्तोल्त ब्रेष्त / नीलाभ

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1. अब वे मुझसे क्या चाहते हैं ? मैं ताश की सभी बाज़ियाँ खेल चुका हूँ, सारी शराब थूक चुका हूँ, सारी क़िताबें चूल्हे में झोंक चुका हूँ, सारी औरतों को उस हद तक प्यार कर चुका हूँ, जब तक कि वे मगरमच्छ की तरह गँधाने नहीं लगीं ।
अभी से मैं एक महान सन्त हो गया हूँ, मेरा कान सड़ गया है कि बहुत जल्द झड़ जाएगा ।
तब फिर क्यों कोई चैन नहीं है ? क्यों लोग अहाते में कचरे की पेटियों की तरह खड़े रहते हैं, चन्दे की उम्मीद में ? मैंने यह साफ़ कर दिया है कि अब मुझसे यह अपेक्षा नहीं रखी जा सकती कि मैं वह गीतों का सरताज गीत रच ही दूँगा । मैंने पुलिस को उन हज़रात के पीछे लगा दिया है । तुम्हें जिसकी भी तलाश हो, मैं वह बन्दा नहीं हूँ ।

2. अपने भाइयों में मैं सबसे ज़्यादा दुनियादार हूँ — और मेरा ही सर सबसे पहले क़लम किया जाता है । मेरे भाई क्रूर थे, मैं क्रूरतम हूँ — और रात-रात भर रोता हूँ मैं ।

3. पवित्र आचार संहिता के साथ पापों का भी बण्टाढार हो गया है । यहाँ तक कि अपनी बहन के साथ सोने में भी अब कोई मज़ा नहीं रहा । बहुतों के लिए हत्या एक बड़ी ज़हमत है, कविता लिखना बेहद आम । सारे रिश्तों की असुरक्षा के इस माहौल में बहुत-से लोग सच बोलना पसन्द करते हैं — इसके ख़तरों से बिलकुल अनजान । रण्डियाँ सर्दियों के लिए गोश्त का अचार डाल रही हैं और शैतान ने अपने सबसे वफ़ादार लोगों को गुहारना बन्द कर दिया है।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : नीलाभ