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तेरह भजन (बसन्त का भजन) / बैर्तोल्त ब्रेष्त / नीलाभ

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1. मैं अब गर्मियों की ताक में हूँ, दोस्तो।

2. हमने जमा कर ली है ख़ूब सारी रम और गिटार पर चढ़ा लिए हैं नए तार।
बस, सफ़ेद कमीज़ें जुटाना बाक़ी है

3. हमारे अंग गर्मियों की घास तरह बढ़ते है और अगस्त के मध्य में
ग़ायब हो जाती हैं कुँआरी कन्याएँ। यह वक़्त है बेपनाह मस्ती का।

4. दिन पर दिन आकाश में भर जाती है एक सुकोमल आभा और
रात हमारी नींद उड़ा ले जाती है।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : नीलाभ