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तेरा गुरूर तुझे कहाँ ले आया / तारा सिंह

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तेरा गुरूर तुझे कहाँ ले आया
दर्द डूबा था जहाँ, वहाँ ले आया

न खुद से मिल सकी, न खुदा से तू
ये किसका पता तेरा दिलबरा ले आया

गुल की हसरतें गर्दे-परेशां हुई
बहार को लूटकर बागबां ले आया

तेरी हसरतों को दिल में ला न सका
दरो दीवार से टपकता बयाबां ले आया

हर रंग तेरी नजर में फ़ीका है, मैं
लहू में रंगकर अपनी जां ले आया