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तेरा नाम धड़कनों में कुछ ऐसा समा गया / रंजना वर्मा

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तेरा नाम धड़कनों में कुछ ऐसा समा गया।
जैसे निर्जन वन में आ कोई मुरली बजा गया॥

साँसों की सरगम पर तेरी
स्मृतियों के गीत,
बौराये आम्र वनों में
बौराई भटके प्रीत।

मंजरियों का सौरभ मन को दीवाना बना गया।
जैसे निर्जन वन में आ कोई मुरली बजा गया॥

सरसों के पीलेपन पर
लज्जा कि कुसुम लुनाई,
भ्रमरों के गुन-गुन ढूँढे
कलियों की मृदु तरुणाई।

खग कुल का मादक कलरव प्रियतम को बुला गया।
जैसे निर्जन वन में आ कोई मुरली बजा गया॥

पूछता पपीहा पी से
कब आओगे मतवारे,
घूँघट में सकुचाया मन
पलकों के खुले किवारे।

अनजाना राही ना जाने कैसे मन लुभा गया।
जैसे निर्जन वन में कोई मुरली बजा गया॥