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तेरा न होना / मनीष मूंदड़ा
Kavita Kosh से
जब गुजरता हूँ अपने पुराने शहर से
गलियाँ सूनी-सूनी सी...
तेरे ना होने का फर्क दिखता है
तेरी आवाज की नामौजूदगी का असर दिखता है
सब कुछ वैसा ही है
सभी के लिए
पर तुम्हारी कमी का असर,
मुझमें ओर मेरे इर्द गिर्द दिखता है।