तेरा पड़ोस / हेमन्त देवलेकर

(पीहू के लिए)


तेरे जन्म के वक़्त
जितना ज़रूरी था माँ के स्तनों में
दूध उतरना
उतना ही ज़रूरी था पड़ोस

एक गोद से दूसरी में जाने जैसा
या बांये स्तन को छोड़
दांये को मुंह लगाने जितना दूर
यह पड़ोस
माँ की ही दूसरी देह होता है

घुटनों-घुटनों सरककर पड़ोस में जाना
तेरी पहली यात्रा है
पड़ोस तुझे क्षितिज की तरह लगता
कौतुहल भरा, प्रलोभन जगाता

उसके पास कुछ वर्जनाएं नहीं
सिर्फ़ स्वीकारोक्तियां हैं

तेरे लंगोट पड़ोस की तार पर सूखते
और जब तू लौटती है घर
तेरे मुंह पर दूध या भात चिपका होता
वहां की कोई न कोई चीज़ रोज़
तेरे घर चली आती

तू अपना घर पड़ोस को बताती
और पड़ोस पूछने पर अपना घर

बचपन के बाद यह ख़्याल
धीरे-धीरे गुम क्यों हो जाता है?

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