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तेरा मेरा एक शरीर सै रे / हरिचन्द
Kavita Kosh से
तेरा मेरा एक शरीर सै रे, मां का जाया बीर सै रे
ल्या कुछ फूल धराई दे
बहण भाई का प्यार जगत म्हं, इसा और नहीं संसार जगत म्हं
फेर बड़ा व्यवहार जगत म्हं, जो चलता रहै लगातार जगत म्हं
इसी मनै रूशनाई दे, ल्या कुछ फूल धराई दे
फ्रीज वीडीयो की नहीं जरुरत, बणी रहो मनै तेरी सूरत
लदो बधो और फुलो फळियो, अगत बेल सुथरी चलियो
दुनियां तनै भलाई दे, ल्या कुछ फुल धराई दे
ना चहिए मनै हाथी घोड़ा, ना चहिए मनै चादर जोड़ा
एक काम तू कर दे मेरा, कर दे दिल का दूर अन्धेरा
बेबे नै पढ़ाई दे, ल्या कुछ फुल धराई दे
भैय्या मेरे मनै पढ़ाइए, जिन्दगी मेरी सफल बणाइए
ज्ञान के द्वार मेरे खुल ज्यागें, हरिचन्द सब सुख मिल ज्यागें
बेबे तनै बधाई दे, ल्या कुछ फुल धराई दे