तेरा श्याम प्यारे यजन कर रही हूँ॥
तेरे नाम का नित भजन कर रही हूँ॥
बसाया तुझे ही नयन के निलय में
तुझे स्वप्न में ले शयन कर रही हूँ॥
न विष्णु न ब्रह्मा न शंकर न हनुमत
तेरा ही कन्हैया चयन कर रही हूँ॥
नहीं भक्त मीरा न राधा के जैसी
तुझे प्राण से पर वरण कर रही हूँ॥
दिखाई थी गीता में जो राह तूने
उसी राह पर अनुगमन कर रही हूँ॥
तुझे साँवरे देख लूँ मैं नयन भर
उसी रोशनी का जतन कर रही हूँ॥
न अब मोह माया मुझे बांध पाये
चरण में तेरे मैं नमन कर रही हूँ॥