तेरी जात बीर की तू डर र र ज्यागी / मेहर सिंह
वार्ता- सत्यवान सावित्री को और समझाता है और क्या कहता है-
मत गैल चालिए मेरी रै बणखण्ड का उल्टा राशा सै
तेरी जात बीर की तू डर र र ज्यागी। टेक
लगै उड़ै धर्मराज कै पेशी
तनै तैं काम्बल मिलै ना खेशी
या कंगलां केसी ढ़ेरी रै सर्दी बीच चमासा सै
कितै जाड़े कै म्हां ठ्यर र र ज्यागी।
है रै प्यास मेंतू निगल्या करैगी थूक
बता तनै उड़ै कौण देवैगा टूक
तूं सूक कै पंजर होरी रै और टुकड़े तक की सासां सै
तेरा भूख काळजा चर र र ज्यागी।
है रै ना गैल ले जाणा चाहता
तेरा मेरा बीर मर्द का नाता
वा माता मेरी सासू तेरी रै जिन्नै पुत्र वधु की आसा सै
वा पेट पाड़ कै मर र र ज्यागी।
मेहर सिंह कै आगै पेश ना चालै
या जिन्दगी हो सै राम हवालै
जब दुश्मन घालै घेरी रै तेरा रूप गजब का खास से
मेरी तेग ते लहू में भर र र ज्यागी।