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तेरी दुनियाँ बड़ी निराली है / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
तेरी दुनियाँ बड़ी निराली है
है अँधेरी कहीं उजाली है
क्या कहूँ कुछ नहीं कहा जाये
देख होली कहीं दिवाली है
छेड़ देता है जिस किसी को भी
लोग कहने लगे मवाली है
हर किसी की मदद किया करता
उस ने शोहरत बहुत कमा ली है
पा गया यूँ तो है बड़ा रुतबा
उस की औक़ात देखी भाली है
जिंदगी है बड़ी हसीन मगर
दिन है उजला तो रात काली है
चाहे कितना अमीर हो कोई
रब के आगे मगर सवाली है