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तेरी सूरत से यारी हो गयी है / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
तेरी सूरत से यारी हो गयी है।
न जाने क्या बिमारी हो गयी है॥
उतर जाती है सीधी ही जिगर में
नज़र जैसे दुधारी हो गयी है॥
बनी है आरजू चाहत हमारी
तमन्ना हर कुँवारी हो गयी है॥
मिलन मुमकिन नहीं कैसे भुलायें
कि शेरों की सवारी हो गयी है॥
अगर दिल हार बैठे तो समझ लो
पराजय ये करारी हो गयी है॥
सुकूँ मिलता नहीं है ढूँढने से
अजब ये बेक़रारी हो गयी है॥
बतायें कैफ़ियत क्या हम किसीसे
खुदी से राज़दारी हो गयी है॥