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तेरे-मेरे प्यार की बँध गई जब ये डोर / विश्वेश्वर शर्मा
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तेरे-मेरे प्यार की बँध गई जब ये डोर मचा दूँगा शोर
ज़माना चाहे जो कहे सो कहे
धीरे-धीरे बोल पिया है ये आपस की बात
मिला तेरा साथ ज़माना कहीं ये सहे ना सहे...
बाँहों में तेरी ये बाँहें रहेंगी तो ठोकर में होगा ज़माना
दिल की ये बातें रहने दो दिल में क्या है ज़रूरी जताना
मैं ना कहूँगा तो दुनिया कहेगी
यह बात एक दिन तो खुलके रहेगी
धीरे-धीरे बोल...
देखो हमारे दिल मिल गए हैं दिल के सहारे चलेंगे
हम जो चलेंगे चलेंगी बहारें सारे सितारे चलेंगे
दुनिया तो जलती है जलती रहेगी
मगर प्यार की रस्म चलती रहेगी
तेरे-मेरे तेरे-मेरे प्यार की...