तेरे ऊपर मुश्ताक रहूं बणी बिजली घन के म्हां / मेहर सिंह
जाणे वाले चले गये मेरै उठै लौर बदन के म्हां
तेरे ऊपर मुश्ताक रहूं बणी बिजली घन के म्हां।टेक
मेरी तेरी सुण कै लड़ाई हंसैगे न्यू नरनार जले
मेरी करदे माफ खता मैं रह लूंगी ताबेदार जले
तूं तो कहर्या एक ब्याह की मैं करवा द्यूं दो चार जले
मैं भाभी तूं देवर चाहिये ना हो तकरार जले
मैं हांसी ठट्ठा कर रही थी तू बुरा मान ग्या मन के म्हां।
देवर भाभी का हुआ करै घर मैं घना मजाक जले
तूं एक बोल म्हं छोह म्हं भरग्या क्यूं हो रह्या सै राख जले
समझदार तूं स्याणा सै मैं तेरी भाभी नालायक जले
तेरी ओड़ की मेरे दिल मैं सै महोब्बत पाक जले
मैं बाहर रहूं तूं भीतर रहिये करिये मौज भवन के म्हां।
दो बासण जब आपस म्हं भिड़ज्यां होज्या घर म्हं राड जले
सिर म्हं जूत मारले बेसक मैं पकड़ा द्यूंगी झाड़ जले
तनै तेग सूत कै पकड़ा द्यूंगी चाहे तारले नाड़ जले
क्यूंकर दिल तैं दूर करूं मनैं छोटे से के करे थे लाड़ जले
परी पदमनी ब्याह द्यूंगी म्हारै घाटा कोन्या धन के म्हां।
तूं छोटा मैं बड़ी तेरे तैं ले मेरी बात नै मान जले
होश जवानी का चढ़ रह्या सै नहीं ठीकाणै ध्यान जले
बिना गुरु के मेहरसिंह नै भी पा लिया था ज्ञान जले
कहे सुणे बिन सरै नहीं तेरी छोटी उम्र नादान जले
फौजी के म्हां करै नौकरी तूं रहता रोज चमन के म्हां।