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तेरे क़द थे सर्व ताज़ा है जम / क़ुली 'क़ुतुब' शाह
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तेरे क़द थे सर्व ताज़ा है जम
ऊ चाया है या नौ-चमन में अलम
तू है चंद तारे हैं लश्कर तेरे
तूँ है शाह-ख़ूबाँ में तेरा हश्म
वरक़ सना परनीं लिखया तुज सा होर
अज़ल के मुसव्विर का हरगिज़ क़लम
सिकंदर कूँ थी आरसी जम कूँ जाम
तेरे हस्त है दरपन होर जाम-जम
तेरे मुख के फुल बन कूँ देख लाज थे
छुपाया है मुख आपने कूँ इरम