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तेरे चेहरे पे कोई ग़म नहीं देखा जाता / मुनव्वर राना
Kavita Kosh से
तेरे चेहरे पे कोई ग़म<ref>दु:ख
</ref> नहीं देखा जाता
हमसे उतरा हुआ परचम<ref>झण्डा</ref> नहीं देखा जाता
वो हमें जब भी बुलाएगा चले आएँगे
उससे मिलना हो तो मौसम नहीं देखा जाता
शब्दार्थ
<references/>