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तेरे चेहरे से नज़र नहीं हटती / साहिर लुधियानवी
Kavita Kosh से
तेरे चेहरे से नज़र नहीं हटती नज़ारे हम क्या देखें
तुझे मिलके भी प्यास नहीं घटती नज़ारे हम क्या देखें
पिघले बदन तेरे तपती निगाहों से
शोलों की आँच आए बर्फ़ीली राहों से
लगे कदमों से आग लिपटती नज़ारे हम क्या देखें
रंगों की बरखा है खुशबू का साथ है
किसको पता है अब दिन है की रात है
लगे दुनिया भी आज सिमटती नज़ारे हम क्या देखें
पलकों पे फैला तेरी पलकों का साया है
चेहरे ने तेरे मेरा चेहरा छुपाया है
तेरे जलवों की धुँध नहीं छँटती नज़ारे हम क्या देखें